सोमवार, 16 सितंबर 2013

फैसला 13-09-2013

सच कहू दामिनी
संतुष्ट तो हूँ मगर खुश नहीं शायद
इसलिए कि तुम नहीं हो यहाँ
कि जीते जी देखती उन्हें
रोते, गिडगिडाते,
या कि रहम कि भीख मांगते
जिनके सामने तार-तार होते
जार- जार रोई होगी तुम उस दिन
इसलिए भी कि -
एक साथ चार-चार माताओं की
कोख शर्मिंदा हुई आज
अपने ही कुकर्मी बेटो से मिले
शर्मनाक प्रतिफल पर ----
कुलदीपक की खातिर
ईश्वर के दर पर
कितनी मन्नते मांगी होगी
,कितने व्रत कितनी पूजाएँ
पूरे नौ माह--
जिन्हें कोख में लिए लिए
सपनों के आकाश में घूमती रही
मन से भी फूली फूली
जिनके पैदा होने पर
मिठाइयाँ बांटी, गीत गाये
कितनी ही बार
अपने हिस्से का कौर खिला,
भूखी सोयी होंगी
लोरियां गाकर
उन्हें सुलाती रही होंगी
आज उन्ही बेटो ने
नींद खत्म कर दी
शेष उम्र की भी

सच में दुखी हु दामिनी
प्रार्थना भी करती हू ईश्वर से ,
इन माताओं को अगले जन्म
सिर्फ बेटिया देना ..........
या कि रहने देना यूँ ही 
बे --औ --ला---द---

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