कल रत से जापान की विभीषिका देख सम्पूर्ण विश्व सन्नाटे में है. याद आई मुझे गणतंत्र दिवस, देवठान बुद्धपूर्निमा के दिन अलग अलग स्थानों पर आये भूकंप की विनाश लीलाए. उन्ही दिनों पर्यावरण दिवस पर लिखी एक रचना....
एक शाश्वत सत्य
सिर्फ एक पल
शायद एक पल भी नहीं
अभी हुई भी नहीं थी सहर
बरपा ...धरा पर
अकल्पित सा कहर
बदल गया
देखते ही देखते
ईंट पथ्थरों में
सारा शहर ....
भयानक सन्नाटों को तोड़ती
खौफनाक चीखें
तड़पते जिस्म बिलखती आँखें
हर आंसू तलाशता
एक ही उत्तर
क्या हुआ .क्यों . हुआ
कैसे हुआ ये सब??????
टूटती है,
एक के बाद एक
सांसो की डोर ,
दहल जाता है पोर पोर
एक विनम्र श्र्ध्हांजलि के लिए
रो पड़ती है
शीश झुकाकर ...... समूची कायनात
हर शख्स
अपने आप में सहमा सिमटा सा
कब ख़त्म हो जाय
कौन जाने !
इस पल से उस पल का वास्ता,
दिखला गया
वह एक पल
एक शाश्वत सत्य,
क़ि जीवन नश्वर है
और छोड़ गया
आत्ममंथन के लिए
अनुत्तरित से कुछ प्रश्न
सच तो है........
हम कब करते है
आत्ममंथन ,
प्रकृति क़ी खातिर
कोई सहज
या गंभीर चिंतन
या क़ि मंत्रनाएं
क़ि प्रकृति माँ है
सहती आई है
अपनी छाती पर
अनगिनत यंत्रनाएं.....
स्वार्थी बेटों क़ी
क्षणभंगुर महत्वाकांषाओं क़ी
खातिर
लुटती है अपना सर्वस्व ,
और बदले में
कुछ नहीं मांगती
एक आदर्श माँ क़ी तरह .
शायद इसीलिए
जब टूटती है,
तब नहीं देखती देश
चीन है, जापान है, या हिंदुस्तान
नहीं देखती शहर
जबलपुर है, लातूर है, या गढ़वाल
नहीं जानती
कहाँ हिन्दू है कहाँ मुसलमान
नहीं सोचती
महूरत,
कब पूर्णिमा है, कब देवठान..
प्रकृति माँ है
कितनी चोटे सहे
कब तक सहे...
कभी तो चरमराएगी,
कभी तो रोएगी,
कभी टूटेगी.......
फिर कैसा शिकवा
कैसे प्रश्न
कैसा गिला...?
जो बोया हमने
वही तो काटाsssss
शाश्वत सत्य से परिचित कराती प्रभावशाली कविता ....!!
जवाब देंहटाएंजो बोया हमने वही तो काटा । यही सत्य है पिर भी तो हम इससे अनजान बनते हैं और बगैर काटने कि चिंता किये उलटा सीधा बोये जाते हैं ।
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पर आपकी कमेंट देखी तो यहां आई । आना सार्थक हुआ आपकी लेखनी मे जबरदस्त ताकत है ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति माँ है
जवाब देंहटाएंकितनी चोटे सहे
कब तक सहे...
कभी तो चरमराएगी,
कभी तो रोएगी,
कभी टूटेगी.......
यह सच्चाई है इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता ..पर यह सोचना है कि इसका जिम्मेवार कौन है ..????..आपका आभार इस सार्थक रचना के लिए
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदिखला गया
जवाब देंहटाएंवह एक पल
एक शाश्वत सत्य,
क़ि जीवन नश्वर है
और छोड़ गया
आत्ममंथन के लिए
अनुत्तरित से कुछ प्रश्न
जोगलेकर जी एक बार फिर इस सामयिक अद्भुत रचना को पढ़े जा रही हूँ ....
आपकी कलम में गहन अभिव्यक्ति है ....
शुक्रिया हरकीरत जी ,
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