गुरुवार, 23 मई 2013

२१ वीं सदी क़ी लड़की

२१ वीं सदी क़ी लड़की 

युग बीते, सदियाँ बीतीं
सूरज देता रहा पृथ्वी को ---धूप---गर्मी---प्रकाश
हवाओं ने भी सांसे देकर,थाम रखी 
सृष्टि की जीवन डोर 
कभी किसी ने नहीं कोसा उन्हें
फिर भी क्यूँ? आखिर
क्यूँ सरेआम दोषारोपण कराती है उन पर
२१ वीं सदी की --नकाबपोश लड़की........!!

सूरज निकलने से पहले या कि
छिप जाने के बाद भी,
हवाओं के चलने या कि रुक जाने के बाद भी,
सुबह से शाम तलक
डरी सहमी सी खुद को छिपाती है ,
जान पहचान वालों से, रिश्तेदारों से ,
रिश्तेदारों के रिश्तेदारों से
या कौन जाने अपने आप से ही .............

ना जाने किससे डरती है
पहचाने जाने के संकट से अनवरत जूझती ,
२१ वीं सदी की नकाबपोश
डरपोक सी लड़की ---------

सचमुच हैरान, परेशान है सूरज,
हवा, पृथ्वी भी हैरान है,
कि पहचान बनाने के संघर्ष से जूझती
अरबों खरबो क़ी इस भीड़ में,
अपनी कोई पहचान कैसे बना पाएगी
नकाब ओढ़कर
अपनी पहचान छिपाती
२१ वीं सदी क़ी नकाबपोश लड़की.........!!

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